Sunday 8 September 2013

संघ जुटा आडवाणी को मनाने में, मोदी की उम्मीदवारी तय!


नई दिल्ली। क्या 17 सितंबर से पहले आधिकारिक तौर पर नरेंद्र मोदी को एनडीए का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक संघ और बीजपी के ज्यादातर बड़े नेता मोदी के नाम पर हामी भर चुके हैं। लेकिन आडवाणी को मनाने की कोशिश जारी है। संघ चाहता है कि आडवाणी खुद मोदी के नाम का प्रस्ताव रखे जिससे ये संदेश जाए कि मोदी को लेकर पार्टी में कोई विवाद नहीं है। 17 सितंबर को मोदी का जन्मदिन है।
दरअसल दिल्ली में शुरू हुई दो दिनों की संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक में मुद्दा सिर्फ एक है नरेंद्र मोदी। सूत्रों की मानें तो भले ही आधिकारिक तौर पर इस बैठक को चुनावों की तैयारी से जोड़ा जा रहा है लेकिन कोशिश मोदी के पक्ष में एकराय बनाने की है। माना जा रहा है कि संघ मोदी के समर्थन में अपना फैसला दे चुका है। लेकिन लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज इस वक्त मोदी के नाम की घोषणा के बिल्कुल खिलाफ हैं। सूत्रों के मुताबिक संघ प्रमुख मोहन भगवत चाहते हैं कि आडवाणी खुद मोदी के नाम का प्रस्ताव आगे बढ़ाए। संघ प्रमुख ने इसके लिए आडवाणी और सुषमा से अलग से मुलाकात भी की है। उधर मोदी और उनके समर्थक ने बैठक में अगले कुछ दिनों में मोदी की नाम की घोषणा करने का दबाव बनाया। इसमें अरुण जेटली और वेंकैया नायडू प्रमुख हैं।
बैठक से जल्दी बाहर आए मोदी अहमदाबाद के लिए निकल गए हैं। लेकिन संघ, वीएचपी और बीजेपी के बड़े धड़े के रूप में अपने समर्थक पीछे छोड़ गए हैं। सूत्रों के मुताबिक मोदी के नाम का सीधे विरोध करना अब किसी के बस की नहीं है। लेकिन घोषणा की टाइमिंग को लेकर एक मजबूत धड़ा डटा हुआ है। माना जा रहा है कि सुषमा स्वराज ने संघ को कहा है कि मोदी का नाम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर अभी घोषित नहीं किया जाना चाहिए। शिवराज सिंह चौहान भी मध्य प्रदेश चुनावों से पहले मोदी के नाम की घोषणा के पक्ष में नहीं हैं। मध्य प्रदेश में 8 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के गुजरात दंगों से जुड़े बयान ने भी पार्टी के भीतर मचे घमासान सामने ला दिया। हालांकि बाद में वो अपने बयान से पीछे हट गए। कुल मिलाकर पार्टी के भीतर अब भी मोदी के नाम पर एकराय नहीं बन पाई है।
सूत्रों की मानें तो यही तर्क मोदी को भी परेशान कर रहा है। मोदी चाहते हैं कि उनके नाम पर विधानसभा चुनाव लड़े और जीते जाएं ताकि उसके बाद पार्टी के भीतर उनकी चुनौती खत्म हो जाए। मोदी पर ये भी दबाव बनाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होने पर वो गुजरात के मुख्यमंत्री का पद छोड़कर चुनावों की पूरी जिम्मेदारी लें। लेकिन मोदी इसके लिए तैयार नजर नहीं आ रहे हैं ।

source:http://khabar.ibnlive.in.com

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